अपने घर का

न रहा नामो-निशाँ अब अपने घर का
अजनबियों से पूछता हूँ, पता अपने घर का

इश्क ने मुझे दो जहाँ की दौलत वारी
आफ़ताब* अपने घर का, महताब** अपने घर का

अजब लोग इस शहर के, अजब आशनाई^
वक़्त पर न खोला किसी ने, दर अपने घर का

हर एक शख्स की चाहत अपनी, इबादत अपनी
शेख^^ अपने घर का, रिंद*^ अपने घर का

ज़मीन पैरों तले और आसमाँ ऊपर
बस यही है रक्ब^* अब अपने घर का

ये न समझे खुदा, के भूला हुआ हूँ मैं
मुझे पता है असली, पता अपने घर का

तुझसे मिला जब, महसूस हुआ मुझे
पूरा हुआ है ख्वाब, अब अपने घर का

*आफताब- सूरज, sun ; **महताब- चाँद, moon ; ^आशनाई- मेल-मिलाप, cordiality ; ^^शेख- धार्मिक व्यक्ति, religious individual ; *^रिंद- शराबी, drunkard; ^*रक्ब- क्षेत्रफल, area

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