मुश्किल तो नहीं, आसाँ भी नहीं

आँखों में नमी, होठों पर हंसी, मुश्किल तो नहीं, आसाँ भी नहीं
यूं घुट-घुट कर जीते जाना, मुश्किल तो नहीं, आसाँ भी नहीं

है वक़्त एक साया क़ातिल का, साथ मेरे जो चलता है
क़ातिल से करूँ मैं याराना, मुश्किल तो नहीं, आसाँ भी नहीं

वो शोख हसीं जब नज़रें उठा, यूँ तीर निशाने पर छोड़े
दिल मेरे तेरा अब बच पाना, मुश्किल तो नहीं, आसाँ भी नहीं

ये रंग बदलती दुनिया है, यहाँ रोज ही यार bichadte हैं
ऐसे में तेरा मुझे मिल जाना, मुश्किल तो नहीं, आसाँ भी नहीं

कुछ अंजाना सा रिश्ता है, मेरे खुदा, तुझ में, मुझ में
इस रिश्ते को झुठला पाना, मुश्किल तो नहीं, आसाँ भी नहीं

हम इश्क-तबीयत वाले लोग, कलम कहाँ साथ में रखते हैं
आहों से ग़ज़ल बुनते जाना, मुश्किल तो नहीं, आसाँ भी नहीं

 
यहाँ मीठी सलाखें सपनों की, और दाना-पानी रिश्तों का
इस क़फ़स* से यूँ उड़ कर जाना, मुश्किल तो नहीं, आसाँ भी नहीं

*पिंजरा

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