एक ख़त टाटा इंडिकॉम के नाम

अभी रहते हैं वो दोनों
दूर एक दूसरे से
दो शहरों का
दो घरों का
फासला है दरम्याँ उनके

बस एक अनदेखी सी डोर है
बांधे रखती है जो उन्हें
डोर बातों की
और बातें दुनियाभर की
आज का दिन कैसा रहा
बातें स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, दोस्ती, ज़िन्दगी की

अभी दूर रहते हैं वो दोनों एक दूसरे से
मिल पाते हैं हफ्ते में सिर्फ एक बार
तभी वो लड़का और वो लड़की
रोज़ रात को बात करते हैं फ़ोन पर

तुम अगर ‘नेटवर्क’ ठीक कर लो थोड़ा और अपना
तो ये डोर टूटे न कभी

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