या फ़िर से तेरी याद है…

दोनों कानों में अलग अलग ear-rings पहनने वाली वो लड़की
खुद भी अलग अलग सी है अब
कभी ironic, कभी zombie, कभी मेरा कुछ सामान सुनाने वाली उस लड़की से
बातें नहीं होतीं महीनों महीनों
life definitely has a funny way
of taking you away
with those
whom you should stay…
“…isn’t it ironic?
a little too ironic?”

शायद हम जो एक दूसरे को दे सकते थे, दे चुके थे
‘ज़िन्दगी के सबसे अच्छे उपहार’
शायद हमारे अपने अपने खालीपन भरने के बाद
कुछ बचा ही नहीं पाने और देने के लिए
“and then one day you find
ten years have gone behind”
and you long for the days
so far away back in time

न रात पश्मीने की है आज
न ही खिड़की से नंगे पाँव चाँद आया है
बस जुबां पे अटकी अटकी सी एक बात है
या फ़िर से लिखूं, के फ़िर से तेरी याद है

-आदी (sometime around midnight, 02 Sept. 2012)

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