intezaar / इंतज़ार

कई रोज़ हुए अब

रात से नज़रें बचा

छत पर आया नहीं वो अपनी

न ही टाँकें सितारे संदेसों के

न ही खिड़की में झाँका मेरी 

चाँद बीमार हो तो

मेरी हर रात अमावस होती है 
-adee 15/10/15

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