Rain and Britain

रेन एंड ब्रिटेन
बारिश और ब्रिटेन का अजीब रिश्ता है. यहाँ लोग बारिश से चिढ़ते हैं, डरते हैं के कहीं उनके कपड़ों, जूतों और वीकेंड प्लान्स की तरह बारिश उनका भी कुछ बिगाड़ न दे.
कल शाम मैं ब्रिटिश म्यूजियम में था. बाहर निकला तो देखा लोग डरे-सहमे, गलियारे में दुबके खड़े हैं. लगा जैसे सड़क किनारे पैदल यात्रिओं की भीड़ कोई एक्सीडेंट देख रही हो. मैं भी डरते-डरते आगे बढ़ा, देखा बारिश हो रही थी. भीनी-भीनी, मन मोहनी. अपने पास छाता होते हुए भी लोग निकलने से कतरा रहे थे. मेरा पास छाता नहीं था, और मुझे घर जल्दी पहुंचना था. सुपरमार्केट से होम डिलिवरी होनी थी नौ से दस के स्लॉट में और मुझे पता था के वो नौ के करीब ज़्यादा होगी बजाये दस के. टाइम और ब्रिटेन का भी अलग रिश्ता है, पर वो किसी और पोस्ट में. एक बार तो मैं भी भीगने से डरा, पर फिर जाना था तो जाना था. मैंने म्यूजियम की ऊंची सीढ़ियां जल्दी से पार की और ये देख के खुश हुआ के मेरे साथ-साथ तीन-चार और लोगों ने भी हिम्मत जुटाई. ये अलग बात है कि कोई भी गोरा बंधू नहीं था हमारे बीच.

जैसा मैंने ऊपर कहा, बोहत ही प्यारी, मीठी सी बारिश हो रही थी. म्यूजियम से बस स्टॉप तक की बारह मिनट की दूरी मुझे खूब भायी. सड़कों पर लोग कम थे, गाड़ी वाले और भी संभल के चल रहे थे और लंदन शहर की बत्तियां ज़िंदा होने लगीं थीं. और अचानक मैंने खुद से कहा, बारिश तो हुयी ही नहीं!

सच बताऊँ तो बादल भी यहाँ बरसने से कतराते हैं. बस एक छोटी सी, हल्लो, हाउ डू यू डू, प्लीज, थैंक यू कह के निकल जाते हैं. पिछले कुछ दिन से फेसबुक पर अपने दिल्ली और मुंबई के दोस्तों की बारिश वाली अपडेट्स और फ़ोटोज़ देख रहा हूँ. इसे कहते हैं हॉप हिप-हॉप वाला प्यार. हर कोई बावला हुआ पड़ा है बारिश के प्रेम में. लगता है हर किसी का अंदरूनी नेशनल जियोग्राफिक फोटोग्राफर जमा वर्ड्सवर्थ जाग गया हो. और देखिये इस बावलेपन के जवाब में बादल भी कैसे खुल के बरसते हैं. 

लगता है सिर्फ प्रकृति का ही इंसान के स्वभाव पे असर नहीं होता, हमारे दिल से भी बादलों के दिल धड़कते हैं. क्या कहते हो इस बारे में यार?

-adee, June 13, 2015

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