कभी कभी लगता है
के मेरे पैरों का
अपना ही मन है जैसे
कभी भी, कहीं भी
चल पड़ते हैं
इस शरीर को, अपने कांधे उठाये
के मेरे पैरों का
अपना ही मन है जैसे
कभी भी, कहीं भी
चल पड़ते हैं
इस शरीर को, अपने कांधे उठाये
sometimes i feel
that my feet
have a mind of their own
wherever, whenever
they move on, carrying
this body on their shoulders
3 Responses to "the wanderer / बंजारा"